श्रोत: ग्रामिण टुडे न्यूज़, वेबटीम
गुजरात के केवड़िया में तीन दिवसीय ‘स्वास्थ्य चिंतन शिविर’ का उद्घाटन:
यह तीन दिवसीय सम्मेलन हमें अगले 25 वर्षों- भारत की आजादी का अमृत काल- के लिए एक सामूहिक एवं सहयोगात्मक दृष्टि प्रदान करेगा: डॉ. मंडाविया
‘आइए हम स्वास्थ्य क्षेत्र में सहकारी संघवाद के जरिये एक समग्र दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ें’
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) के एक शीर्ष सलाहकार निकाय केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद (सीसीएचएफडब्ल्यू) के 14वें सम्मेलन की अध्यक्षता की। इसका आयोजन आज गुजरात के केवड़िया में ‘स्वास्थ्य चिंतन शिविर’ नाम से किया गया। इसमें गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्रभाई पटेल, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार और नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी. के. पॉल उपस्थित थे।
इस तीन दिवसीय सम्मेलन में 19 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्रियों एवं उपराज्यपाल भाग ले रहे हैं। सम्मेलन में अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल एडमिरल डी. के. जोशी, अरुणाचल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्री अलो लिबांग, असम के स्वास्थ्य मंत्री श्री केशव महंत, बिहार के स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडे, गुजरात के कैबिनेट स्वास्थ्य मंत्री श्री ऋषिकेश पटेल, गुजरात की स्वास्थ्य राज्यमंत्री श्रीमती निमिषाबेन सुथार, झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री श्री बन्ना गुप्ता, कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. के. सुधाकर, केरल की स्वास्थ्य मंत्री श्रीमती वीणा जॉर्ज, मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. विश्वास सारंग, महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री श्री राजेश टोपे, मणिपुर के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. सपम रंजन सिंह, मेघालय के स्वास्थ्य मंत्री श्री जेम्स पी. के. संगमा, मिजोरम के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. आर. ललथंगलियाना, नागालैंड के स्वास्थ्य मंत्री श्री एस. पांगन्यू फोम, पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. विजय सिंगला, सिक्किम के स्वास्थ्य मंत्री श्री मणि कुमार शर्मा, तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री श्री थिरु मा सुब्रमण्यम, उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत और पुदुचेरी के माननीय लोक निर्माण मंत्री श्री के. लक्षमीनारायणन उपस्थित थे।
तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्देश्य चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र से संबंधित नीतियों एवं कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की समीक्षा करना और आम लोगों के फायदे के लिए इन नीतियों/ कार्यक्रमों के बेहतर कार्यान्वयन के तरीकों और साधनों की सिफारिश करना है।
डॉ. मंडाविया ने अपने संबोधन की शुरुआत यह कहते हुए कहा कि एकता का प्रतीक स्टैच्यू ऑफ यूनिटी भारत के संघीय ढांचे का प्रतिनिधित्व करता है जो एक सुव्यवस्थित लोकतंत्र में काम कर रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि ‘आजादी का अमृत महोत्सव पर’ चिंतन करने के लिए आयोजित यह शिखर सम्मेलन हमें केंद्र एवं राज्य सरकारों को सामूहिक एवं सहयोगात्मक दृष्टिकोण और अगले 25 वर्षों- भारत की स्वतंत्रता का अमृत काल- के लिए एक रूपरेखा प्रदान करेगा। उन्होंने आगे कहा कि यह चिंतन शिविर संघीय लोकतंत्र का सबसे अच्छा उदाहरण है। विभिन्न राज्यों से सर्वोत्तम प्रथाओं को राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जाना चाहिए। यह एक-दूसरे से सीखने का मंच है।
सहकारी संघवाद की भावना और एक समग्र दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ने के महत्व को रेखांकित करते हुए डॉ. मंडाविया ने याद दिलाया कि दुनिया अभी भी कोविड से जूझ रही है लेकिन माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत ने दुनिया को दिखाया है कि इस वैश्विक महामारी को सफलतापूर्वक प्रबंधित कैसे किया जा सकता है। केंद्र और राज्यों के संयुक्त एवं समग्र प्रयासों से ही हम कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने में सफल हुए हैं।
डॉ. मंडाविया ने बताया कि केंद्र और राज्य अपने स्वास्थ्य बजट में वृद्धि कर रहे हैं ताकि सभी को सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो सकें। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि पीएम-एबीएचआईएम के जरिये भारत सरकार ने सभी राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए 64,180 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। जबकि पिछले 6-7 वर्षों में समग्र स्वास्थ्य बजट को 37,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 86,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
भारत के कोविड वॉरियर एवं फ्रंडलाइन वर्कर यानी अगले मोर्चे पर तैनात कर्मियों की प्रशंसा करते हुए डॉ. मंडाविया ने कहा कि पूरी दुनिया भारत के कोविड प्रबंधन मॉडल और टीकाकरण अभियान की सराहना कर रही है। उन्होंने कहा, ’95 प्रतिशत वयस्कों को टीके की पहली खुराक के कवरेज में लाना काफी सराहनीय है।’
श्री भूपेंद्रभाई पटेल ने केवड़िया में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को इस राष्ट्रीय सम्मेलन के लिए चुने जाने पर खुशी जताते हुए कहा कि इस राष्ट्रीय सम्मेलन के लिए इससे बेहतर जगह नहीं हो सकती थी। उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ, सबका प्रयास’ के दर्शन ने कोविड-19 वैश्विक महामारी से सामूहिक तौर पर लड़ने के भारत के संकल्प को मजबूत किया है।
डॉ. भारती प्रवीण पवार ने कहा कि यह तीन दिवसीय चिंतन शिविर आने वाले समय की स्वास्थ्य चुनौतियों और उन्हें दूर करने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने पर केंद्रित चर्चा को आगे बढाएगा। उन्होंने जमीनी स्तर पर लोगों और समुदायों को उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएं प्रदान करने के लिए नवाचार एवं नीतिगत समर्थन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘हमें चुनौतियों को अवसरों में बदलने और स्वास्थ्य क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने पर काम करना है।’
डॉ. वी. के. पॉल ने अपने संबोधन में कहा कि आज एक ऐतिहासिक दिन है क्योंकि यह मंथन हमें सभी के फायदे के लिए देश में स्वास्थ्य परिवेश पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने और उसे एक नया रूप देने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि यह शिखर सम्मेलन एक-दूसरे से सीखने और सभी के लिए सुलभ एवं सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने की दिशा में काम करने के लिए एक आदर्श मंच प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 ने हमें साथ मिलकर काम करना सिखाया है और भविष्य की स्वास्थ्य व्यवस्था कोविड मिली सीख पर आधारित होनी चाहिए। भारत आधारित वैश्विक स्वास्थ्य व्यवस्था हमारा उद्देश्य होना चाहिए जहां सेवाओं की डिलिवरी, सूचना प्रणाली, निगरानी और सार्वजनिक भागीदारी की महत्वपूर्ण भूमिका हो। उन्होंने यह भी बताया कि किस प्रकार भारत को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को पुनर्जीवित करने का लक्ष्य रखना चाहिए।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने चिंतन शिविर के अवसर पर पांचवें दौर के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) और वर्ष 2020-21 के लिए ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी प्रकाशन की राष्ट्रीय रिपोर्ट जारी की। इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के एनक्यूएएस (नेट क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड) पोर्टल और प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस पोर्टल को लॉन्च किया गया।
बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण, आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव, नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया और राज्यों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।