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अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन के 113वें अधिवेशन में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री द्वारा दिए गए राष्ट्रीय वक्तव्य:

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अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन के 113वें अधिवेशन में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया द्वारा दिए गए राष्ट्रीय वक्तव्य का मूलपाठ:

महामहिमविशिष्ट प्रतिनिधिगण और मेरे सहयोगियों, नमस्ते।

113वें इंटरनेशनल लेबर कांफ्रेंस में भारत का प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए अत्यंत गौरव की बात है। मैं इस सम्मेलन के भव्य आयोजन के लिए डीजीआईएलओ और आईएलओ सेक्रेटेट को दिल से बधाई देता हूं। यह सत्र फ्यूचर ऑफ वर्क से जुड़े कई महत्वपूर्ण और रिलेवेंट इश्यूज पर विचार विमर्श का अवसर प्रदान करता है, जैसे- जैविक खतरों से श्रमिकों की सुरक्षा हेतु नए मानक, प्लेटफार्म इकोनॉमी में डिसेंट वर्क को बढ़ावा देना और इनफॉर्मल इकोनमी को फॉर्मलाइज करने हेतु इनोवेटिव स्ट्रेटजीस अपनाना।

भारत आईओ के मैंडेट, डिसेंट वर्क कंडीशंस, सोशल जस्टिस और इंक्लूसिव ग्रोथ को सुनिश्चित करने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है।

मुझे यह बताते हुए हर्ष है कि भारत की बेरोजगारी दर जो 2017 में 6% थी वह 2024 में घटकर 3.2% हो गई है। हमने फॉर्मलाइजेशन ऑफ एंप्लॉयमेंट में विशेष रूप से प्रगति की है जिसके फलस्वरूप पिछले सात वर्षों में फॉर्मल सेक्टर में 7.5 करोड़ से अधिक नौकरियां सृजित हुई है। हमारा एंप्लॉयमेंट लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम लगभग 12.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर के आवंटन के साथ फॉर्मल एंप्लॉयमेंट को और बढ़ावा देगा।

भारत ने एक मजबूत डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करा है। जिसमें नेशनल करियर सर्विस (एनसीएस) जैसे प्लेटफार्म भी शामिल है, जो हमारे युवाओं और वर्किंग पॉपुलेशन के लिए एक वन स्टॉप सॉल्यूशन के रूप में कार्य कर रहे हैं। अब हम एनसीएस का उपयोग ग्लोबल जॉब डिमांड को एकत्र करने और इंटरनेशनल लेबर मोबिलिटी को आसान बनाने में कर रहे हैं।

हम एक वाइब्रेंट एजुकेशन टू एंप्लॉयमेंट इकोसिस्टम तैयार कर रहे हैं, जिसमें यूनिवर्सिटी, इंडस्ट्रीज पार्टनर्स और स्किल सेंटर्स को एक साझा मंच पर लाया जा रहा है ताकि युवाओं को रियल मार्केट डिमांड्स के हिसाब से अवसर मिल सके। मुझे यह देखकर प्रसन्नता है कि आज पूरी दुनिया प्लेटफार्म इकॉनमी पर गंभीरता से चर्चा कर रही है।

भारत ने गिग और प्लेटफार्म वर्कर्स को मेन स्ट्रीम में लाने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। चूंकि भारत का गिग वर्कफोर्स वर्ष 2030 तक 23.5 मिलियन तक पहुंचने की संभावना रखता है। इस क्षेत्र की विशेषता, इसकी फ्लेक्सिबिलिटी को बनाए रखना बहुत जरूरी है।

हम यह मानते हैं कि प्लेटफार्म वर्क से जुड़े स्टैंडर्ड सेटिंग में एक मेजर्ड एविडेंस बेस्ड एप्रोच अपनाया जाए, जिससे इस क्षेत्र का इनोवेटिव कैरेक्टर बना रहे और साथ-साथ वर्किंग कंडीशन में भी सुधार आए। भारत का कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी 2020 प्लेटफार्म वर्कर्स को एक विशिष्ट वर्ग के रूप में पहचानता है। हमने अपने ई-श्रम पोर्टल पर गिग और प्लेटफार्म वर्कर्स सहित 300 मिलियन से अधिक अन-ऑर्गेनाइज्ड वर्कर्स का रजिस्ट्रेशन कर एक अनोखा नेशनल डिजिटल डेटाबेस तैयार करा है जो टारगेटेड बेनिफिट्स और सोशल प्लेटफार्म की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।

हमारे इन प्रयासों का नतीजा प्रत्यक्ष है कि आईएलओ की वर्ल्ड सोशल प्रोटेक्शन रिपोर्ट के अनुसार, भारत की सोशल प्रोटेक्शन कवरेज 2019 में जहां 24.4% थी वह बढ़कर 2025 में 64.3% हो गई है। आज भारत में लगभग 940 मिलियन लोगों को किसी न किसी रूप में सोशल सिक्योरिटी कवरेज प्राप्त है। इसके अलावा और कई करोड़ लोग फूड और हेल्थ सिक्योरिटी स्कीम के जरिए नॉन कैश बेनिफिट्स भी प्राप्त कर रहे हैं। मैंने इस आईएलसी सत्र में बायोलॉजिकल हज़ार्ड्स पर और इस चर्चा को भी गंभीरता से सुना है। हम लेबर सेफ्टी के महत्व को पूरी तरह स्वीकार करते है, लेकिन, साथ ही इस जरूरत पर भी बल देना चाहेंगे कि प्रपोज्ड इंस्ट्रूमेंट की डेफिनेशन इतनी ब्रॉड ना हो कि वे वर्क प्लेस सेटिंग के दायरे से बाहर भी लागू होने लग जाए।

कन्वेंशन का यूनिवर्सल कवरेज अप्रोच, विशेष रूप से इनफॉर्मल सेक्टर और एमएसएमई के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। भारत इस दिशा में एक ग्रेडेड, रिस्क टायर्ड स्ट्रेटजी की सिफारिश करता है जो वर्कर सेफ्टी और ऑपरेशनल रियलिटीज में बैलेंस बनाए। हमारा आग्रह है कि ग्लोबल स्टैंडर्ड्स तय करते समय विभिन्न देशों की विविधताओं का संदर्भ लिया जाए और उन्हें समान समायोजित करा जाए।

प्रधानमंत्री श्री मोदी जी के नेतृत्व में भारत ने सतत आर्थिक विकास और रोजगार सृजन के लिए एक नई नींव रखी है। आइए हम सब मिलकर ऐसे फ्यूचर वर्क का निर्माण करें जो इनोवेशन और इंक्लूजन का संगम हो और जहां कोई भी श्रमिक पीछे ना छूटे।

धन्यवाद।

मुख्य बिंदु: 

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